एक ही अक्षर से बना श्लोक
कः कौ के केककेकाकः
काककाकाककः ककः।
काकः काकः ककः काकः
कुकाकः काककः कुकः॥
अर्थात्-
परब्रह्म (कः) [श्री राम] पृथ्वी (कौ) और साकेतलोक (के) में [दोनों स्थानों पर] सुशोभित हो रहे हैं।
उनसे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में आनन्द निःसृत होता है।
वह मयूर की केकी (केककेकाकः) एवं काक (काकभुशुण्डि) की काँव-काँव (काककाकाककः) में आनन्द और हर्ष की अनुभूति करते हैं।
उनसे समस्त लोकों (ककः) के लिये सुख का प्रादुर्भाव होता है। उनके लिये [वनवास के] दुःख भी सुख (काकः) हैं।
उनका काक (काकः) [काकभुशुण्डि] प्रशंसनीय है।
उनसे ब्रह्मा (ककः) को भी परमानन्द की प्राप्ति होती है।
वह [अपने भक्तों को] पुकारते (काकः) हैं।
उनसे कूका अथवा सीता (कुकाकः) को भी आमोद प्राप्त होता है।
वह अपने काक [काकभुशुण्डि] को पुकारते (काककः) हैं और उनसे सांसारिक फलों एवं मुक्ति का आनन्द (कुकः) प्रकट होता है।
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